Simply Special
Monday, 16 December 2013
Friday, 18 October 2013
इंतजार पर किसका ...........
मैं परेशां परेशां परेशां परेशां ...... इश्कजादे फिल्म का ये गाना, दिन का एक पहर तो ऐसा आता ही है जब ये दिमाग में गूंजने लगता है, कुछ पल के लिए खुद में ही गुम हो जाते हैं l फिर तनिक दिलो दिमाग को तार्किक तरीके से समझाते हैं कि हम ही नही इस शहर में बेबस और तन्हा, नज़रें घुमा के तो देखो, हमारी ज़िदगी का भी बहोतों ने सपना संजोया है l आज की उलझनें, कल जो नज़रन्दाज की बातों का नतीजा भर है l फिर भागने की फ़िराक में है ये मन, दूर चला जाना चाहता है सभी तकलीफों से, सोचता ही नही कि खुद से भाग के जायेगा भी तो कंहा l नादान है ना आँखे बंद करके ही तसल्ली कर लेता है l इस भागमभाग की पसोपेश में समय हमसे आगे निकलता जा रहा है l निरंतर बढती दूरियों को देख समय से भी जब रहा नही गया तो पूछ बैठा, मैं कभी किसी के लिए नही रुकता, यही मेरा नीयम है, और इस सृष्टी का भी, फिर तुम क्यूं और किस के इंतजार में रुके हो? हमारा जवाब था सही समय, इन उलझनों और परेशानियों से निकलने का ... परन्तु जवाब देते भी तो किसे समय अब हमारी ध्वनि के दायरे से भी आगे बढ़ चुका था l
Friday, 4 October 2013
सालों पुराना ये SMS, आज भी पढ़ने को जी चाहता है
कभी अपनी ही हंसी पर आता हे गुस्सा ...
कभी सारे जन्हा को हँसाने को जी चाहता है ...
कभी छुपा लेते हैं गमो को दिल के किसी कोने में ...
कभी किसी को सब कुछ सुनाने को जी चाहता है ...
कभी रोते नही दिल टूट जाने पर भी ...
और कभी यूँही आंसू बहाने को जी चाहता है ...
कभी हंसी सी आ जाती हे भीगी यादों में ...
तो कभी सब कुछ भुलाने को जी चाहता है ...
कभी अच्छा सा लगता है आज़ाद उड़ना कंही ...
और
कभी किसी की बाँहों में सिमट जाने को जी चाहता है ...
कभी सोचते हैं हो कुछ नया इस जिंदगी में
और
कभी बस यूँही जिए जाने को जी चाहता है ...
कभी सारे जन्हा को हँसाने को जी चाहता है ...
कभी छुपा लेते हैं गमो को दिल के किसी कोने में ...
कभी किसी को सब कुछ सुनाने को जी चाहता है ...
कभी रोते नही दिल टूट जाने पर भी ...
और कभी यूँही आंसू बहाने को जी चाहता है ...
कभी हंसी सी आ जाती हे भीगी यादों में ...
तो कभी सब कुछ भुलाने को जी चाहता है ...
कभी अच्छा सा लगता है आज़ाद उड़ना कंही ...
और
कभी किसी की बाँहों में सिमट जाने को जी चाहता है ...
कभी सोचते हैं हो कुछ नया इस जिंदगी में
और
कभी बस यूँही जिए जाने को जी चाहता है ...
Thursday, 29 August 2013
When rape becomes a reason for marriage
Rape is a result of sick mentality which will never change,
and Marriage with accused rapist is like u r permitting him to rape with
license. How can parents think that "The groom saved my daughter's life
from being destroyed" whatever he have done, that was not enough to
destroy your daughter' life. Don't get afraid from social comments or blame
about unmarried daughter, no one will come from ur society to protect when your
daughter will be getting raped, tortured, insulted every day every moment. Why
don't you give confidence to your daughter to live her life in her own way.
Face your society and prove everyone that your accused is not succeed to
destroy your life, your life is still beautiful and meaningful for u and
others.
Tuesday, 23 July 2013
Just Starting of My Views ..... It will change yours
आज समाज नये और बड़े बदलाव के इंतजार में है, परन्तु वो भ्रमित है कि ये बदलाव कोई महापुरुष ही ला सकता है l शायद इस भ्रम का कारण वही महागाथाएं हैं जिनमे राम, कृष्ण, भगत सिंह, रानी लक्ष्मी बाई जेसे अनेको किरदार अपने पराक्रम से बुराई पे विजय प्राप्त करते हैं l समाज का एक आम आदमी इस बदलाव में अपनी भूमिका बहुत ही गौण मान के चलता है l वो बिना किसी सख्त आदेश के अपने कर्तव्यों को पूरा करना ज़रूरी नही समझता l ज़िद करता हे तो सिर्फ धन अर्जित करने की, खुश रहने की नही l इसी कारणवश अवसादों में घिरा रहता है, और किसी चमत्कार की अपेक्षा करता है l समाज की यही स्थिति संवेदनहीनता को जन्म दे रही है, जो की आज के विकृत समाज का मूलभूत कारण है l
Wednesday, 19 June 2013
A healthy Myth
खुश हूँ बहुत, दिल से ये आज कहा है मैंने
शायद इसी बहाने, मुस्कान चेहरे पे मेहरबान हो जाये ...
लम्बे अरसे के बाद सुन इस ख़ुशी के लफ्ज़ को
धडकनों की गति ना बेकाबू हो जाये
दिलचस्प जिंदगी को बोझिल बना दिया था
ख्वाबों के बादलों की आज एक सैर हो जाये
कामयाबी की प्यास से शुष्क हो गया था जो मन
उम्मीदों की इस बारिश में गीत कोई गुनगुनाना चाहे
खुश हूँ बहुत, दिल से ये आज कहा है मैंने
शायद इसी बहाने, मुस्कान चेहरे पे मेहरबान हो जाये ...
शायद इसी बहाने, मुस्कान चेहरे पे मेहरबान हो जाये ...
लम्बे अरसे के बाद सुन इस ख़ुशी के लफ्ज़ को
धडकनों की गति ना बेकाबू हो जाये
दिलचस्प जिंदगी को बोझिल बना दिया था
ख्वाबों के बादलों की आज एक सैर हो जाये
कामयाबी की प्यास से शुष्क हो गया था जो मन
उम्मीदों की इस बारिश में गीत कोई गुनगुनाना चाहे
खुश हूँ बहुत, दिल से ये आज कहा है मैंने
शायद इसी बहाने, मुस्कान चेहरे पे मेहरबान हो जाये ...
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