Friday, 18 October 2013

इंतजार पर किसका ...........


मैं परेशां परेशां परेशां परेशां ...... इश्कजादे फिल्म का ये गाना, दिन का एक पहर तो ऐसा आता ही है जब ये दिमाग में गूंजने लगता है, कुछ पल के लिए खुद में ही गुम हो जाते हैं l फिर तनिक दिलो दिमाग को तार्किक तरीके से समझाते हैं कि हम ही नही इस शहर में बेबस और तन्हा, नज़रें घुमा के तो देखो, हमारी ज़िदगी का भी बहोतों ने सपना संजोया है l आज की उलझनें, कल जो नज़रन्दाज की बातों का नतीजा भर है l फिर भागने की फ़िराक में है ये मन, दूर चला जाना चाहता है सभी तकलीफों से, सोचता ही नही कि खुद से भाग के जायेगा भी तो कंहा l नादान है ना आँखे बंद करके ही तसल्ली कर लेता है l इस भागमभाग की पसोपेश में समय हमसे आगे निकलता जा रहा है l निरंतर बढती दूरियों को देख समय से भी जब रहा नही गया तो पूछ बैठा, मैं कभी किसी के लिए नही रुकता, यही मेरा नीयम है, और इस सृष्टी का भी, फिर तुम क्यूं और किस के इंतजार में रुके हो? हमारा जवाब था सही समय, इन उलझनों और परेशानियों से निकलने का ... परन्तु जवाब देते भी तो किसे समय अब हमारी ध्वनि के दायरे से भी आगे बढ़ चुका था l 

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