आज समाज नये और बड़े बदलाव के इंतजार में है, परन्तु वो भ्रमित है कि ये बदलाव कोई महापुरुष ही ला सकता है l शायद इस भ्रम का कारण वही महागाथाएं हैं जिनमे राम, कृष्ण, भगत सिंह, रानी लक्ष्मी बाई जेसे अनेको किरदार अपने पराक्रम से बुराई पे विजय प्राप्त करते हैं l समाज का एक आम आदमी इस बदलाव में अपनी भूमिका बहुत ही गौण मान के चलता है l वो बिना किसी सख्त आदेश के अपने कर्तव्यों को पूरा करना ज़रूरी नही समझता l ज़िद करता हे तो सिर्फ धन अर्जित करने की, खुश रहने की नही l इसी कारणवश अवसादों में घिरा रहता है, और किसी चमत्कार की अपेक्षा करता है l समाज की यही स्थिति संवेदनहीनता को जन्म दे रही है, जो की आज के विकृत समाज का मूलभूत कारण है l