Friday 4 October 2013

सालों पुराना ये SMS, आज भी पढ़ने को जी चाहता है

कभी अपनी ही हंसी पर आता हे गुस्सा ...
कभी सारे जन्हा को हँसाने को जी चाहता है ...

कभी छुपा लेते हैं गमो को दिल के किसी कोने में ...
कभी किसी को सब कुछ सुनाने को जी चाहता है ...

कभी रोते नही दिल टूट जाने पर भी ...
और कभी यूँही आंसू बहाने को जी चाहता है ...

कभी हंसी सी आ जाती हे भीगी यादों में ...
तो कभी सब कुछ भुलाने को जी चाहता है ...

कभी अच्छा सा लगता है आज़ाद उड़ना कंही ...
और
कभी किसी की बाँहों में सिमट जाने को जी चाहता है ...

कभी सोचते हैं हो कुछ नया इस जिंदगी में
और
कभी बस यूँही जिए जाने को जी चाहता है ...

3 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति.. आपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी पोस्ट हिंदी ब्लॉग समूह में सामिल की गयी और आप की इस प्रविष्टि की चर्चा कल - रविवार - 06/10/2013 को
    वोट / पात्रता - हिंदी ब्लॉग समूह चर्चा-अंकः30 पर लिंक की गयी है , ताकि अधिक से अधिक लोग आपकी रचना पढ़ सकें . कृपया पधारें, सादर .... Darshan jangra


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  2. हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल परिवार की ओर से नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ...
    --
    सादर...!
    ललित चाहार

    हिंदी ब्लॉगर्स चौपाल पर आज की चर्चा : इक नई दुनिया बनानी है अभी -- हिन्दी ब्लागर्स चौपाल चर्चा : अंक 018

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